What Is Lee commission | ली आयोग क्या है?

WhatsApp Group Link
WhatsApp Group
Join Now
Telegram Group
Telegram Group
Join Now

ली आयोग (Lee commission)

ली आयोग : भारतीय प्रशासनिक सेवाओं को सुचारू रूप से चलाने हेतु एक संस्था कि व्यवस्था कि गई जिसे ली कमीशन नाम दिया गया। ब्रिटिश (British) भारत में लार्ड विस्कांउट ली की अध्यक्षता में 1923 में पहली बार ‘ली आयोग बनाया गया था। लार्ड विस्कांउट ने इसकी अध्यक्षता कि इसलिए इसका नाम “ली आयोग” (Lee Commission) रखा गया। इस आयोग को लोक सेवाओं में सुधार करने के उद्देश्य से बनाया गया था। यह आयोग एक विशेष आयोग था। इस आयोग के लिए इसकी रिपोर्ट 1924 में प्रस्तुत कर दी गयी थी। ली आयोग में एक समान संख्या में भारतीय एवं ब्रिटिश सदस्य सम्मिलित थे।

ली आयोग के द्वारा सन् 1924 में यह प्रस्तावना कि गयी थी कि भविष्य में लोक सेवा में प्रवेश लेने वालों में 40% ब्रिटिश होने चाहिए, 40% भारतीयों को सीधे भर्ती दि जानी चाहिए, तथा इसके साथ ही 20% भारतीयों को प्रांतीय सेवा से पदोन्नत किया जाना चाहिए। भारतीय प्रशासन में उच्च श्रेणी की लोक सेवा, संघीय लोक सेवा आयोग आदि का जो स्वरूप हम देख पाते हैं। उस स्वरूप का गठन या स्थापना 1 oct 1926 को ‘ली आयोग’ कि आधारशिला पर ही हुई थी।

लेकिन इसका जो वर्तमान में स्वरूप है वह 26 जनवरी,1950 के आधार पर रखा गया हैं। जिसे आप सब आज के समय में ‘संघ लोक सेवा आयोग’ के नाम से जानते हैं। अर्थात् कहने का तात्पर्य यह है कि वर्तमान में जो संघ लोक सेवा आयोग है वह ‘ली आयोग’ की ही देन हैं।

Indian Civil Service का गठन

इसके सम्बन्ध में सबसे पहले ‘लोक सेवा’ शब्द का उपयोग सन् 1765 में ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा किया गया था। क्योंकि ईस्ट इंडिया कंपनी को शासन करने के लिए पब्लिक सर्वेंट कि जरूरत होती थी तो वह इनकी महत्वत्ता को भी भली भांति समझती थी । इसी संदर्भ में इसकी महत्वत्ता को देखते हुए सन् 1769 में लार्ड कार्नवालिस के द्वारा Indian Civil Service को अस्तित्व में लाया गया था। इसलिए लार्ड कार्नवालिस को लोक सेवाओं का जन्मदाता भी कहा जाता हैं। उसी समय से लोक सेवाओं के वास्तविक स्वरूप, कार्य और अधिकारों में कई प्रकार के अधिनियमों और आयोगों द्वारा आगे भी लगातार सुधार होते रहा। इसी क्रम में ‘ली आयोग’ भी बनाया गया था। जिसके बारे में हम ऊपर पढ चुके हैे।

संघ लोक सेवा आयोग का गठन

ली आयोग’ के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए ब्रिटिश सरकार ने सन् 1926 में ‘केन्द्रीय लोक सेवा आयोग’ की स्थापना की तथा इस आयोग को लोक सेवकों की भर्ती करवाने का कार्य सौंपा गया। इस आयोग में कार्य कर्ताओं के रूप में एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्यों का प्रावधान किया गया था इस ‘केन्द्रीय लोक सेवा आयोग’ के पहले अध्यक्ष ब्रिटिश गृह लोक सेवा के वरिष्ठ सदस्य ‘सर राॅस बार्कर’ थे। तथा जब सन् 1937 के दोरान सन् 1935 का अधिनियम लागू हुआ, तब इस ‘केन्द्रीय लोक सेवा आयोग’ का स्थान ‘संघीय लोक सेवा आयोग’ ने ले लिया।

लेकिन जब आजादी के बाद भारत का संविधान 26 जनवरी,1950 को लागू हुआ, तब ‘संघीय लोक सेवा आयोग’ का नाम बदलकर ‘संघ लोक सेवा आयोग’ कर दिया गया। यह संस्था आज भी इसी नाम से भर्तियाँ करवाती हैं। इस संस्था को अंग्रेजी भाषा में Union Public Service Commission के नाम से भी जाना जाता हैं तथा सोर्ट फोर्म में इसे UPSC कहते हैं।

WhatsApp Group LinkWhatsApp Group Join Now
Telegram GroupTelegram Group Join Now
Scroll to Top